Rajya evam rashtra ki aay question answer class | राज्य एवं राष्ट्र की आय | Subjective Questions Answer

Rajya evam rashtra ki aay question answer class

Rajya evam rashtra ki aay question answer class

राज्य और राष्ट्र की आय का अध्ययन आर्थिक Social Science का एक महत्वपूर्ण पहलू है जिससे हम यह समझ सकते हैं कि सरकारें अपने संचालन के लिए वित्तीय संसाधन कैसे जुटाती हैं। राज्य की आय मुख्य रूप से टैक्स, शुल्क, शुल्कों, और सरकारी संपत्तियों के उपयोग से प्राप्त होती है। वहीं, राष्ट्रीय आय को एक व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाता है, जिसमें देश के सभी नागरिकों और उद्योगों की आय शामिल होती है। राष्ट्रीय आय का आकलन देश की आर्थिक स्थिति, प्रति व्यक्ति आय, और नागरिकों की जीवन-स्तर को मापने का एक प्रमुख साधन है। आज का इस पोस्ट में कक्षा दसवीं अर्थशास्त्र के अध्याय 2 संपूर्ण एनसीईआरटी बुक पर आधारित प्रश्नों को समझेंगे और इसे आप जरूर याद कर लीजिए आपकी परीक्षा की दृष्टि कौन से काफी महत्वपूर्ण है |


राज्य एवं राष्ट्र की आय Notes

➢ दादा भाई नौरोजी ने अपनी पुस्तक Poverty and un British rule in India भारत का प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 20 बताया था |
➢ स्वतंत्र  प्राप्ति के बाद भारत सरकार ने अगस्त 1949 में प्रो पी० सी० महालनोबिस अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय आय समिति का गठन किया था |
➢ सन 1954 में राष्ट्रीय आय के आंकड़ों का संकलन करने के लिए सरकार ने केंद्रीय सांख्यिकी संगठन की स्थापना की |
➢ वर्ष 2007 में अमेरिका का प्रति व्यक्ति आय 46040 डॉलर एवं भारत का प्रति व्यक्ति आय 950 डॉलर थी|
➢ वर्ष 2009 के अनुसार बिहार की एक 40.4 % प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करती है ।
➢ रैगनर नर्क्स के अनुसार गरीबी – गरीबी को जन्म देती थी
➢ गरीबी के कुचक्र को रेंगनर नर्क्स ने व्यक्त किया था
➢ वर्ष 2008-09 में भारत की प्रति व्यक्ति आय 25,494 थी।
➢ वर्ष 2005-06 में बिहार की प्रति व्यक्ति आय 6,610 थी |
➢ राष्ट्रीय आय उपभोग व्यय विनियोग अर्थात
➢ भारत में सबसे पहले सन् 1968 में दादा भाई नौरोजी ने राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाया था।
➢ वर्ष 2007 में बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय सबसे कम मात्र 750 डॉलर था।
➢ राष्ट्रीय आय की गणना 5 तरीके से होती है।
➢ राष्ट्रीय आय राष्ट्र के आर्थिक स्थिति के आकलन का सार्वधिक विश्वनीय मापदंड
➢ 1 अप्रैल से 31 मार्च तक को भारत वित्तिय वर्ष कहा जाता है।
➢ उत्पादन एवं आय गणना विधि सहज वैज्ञानिक और व्याहारिक है।
➢ वर्ष 2003-04 में बिहार का GDP 5.15% था।
➢ 2004-05 से 2008-09 के बीच बिहार की GDP में सकारात्मक 11.03 रहता हैं।
➢ राष्ट्रीय आय में वृद्धि होने से प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि होती हैं।
➢ भारत में गोवा राज्य का प्रति व्यक्ति आय सबसे अधिक और बिहार राज्य का सबसे  कम है


प्रश्न-1. आय से आप क्या समझते है?
उत्तर- जब कोई व्यक्ति किसी प्रकार का शारीरिक या मानसिक कार्य करता है और इस कार्य के बदले में जो परिश्रमिक मिलता है, उसे उस व्यक्ति का आय कहा जाता है । आय वह मापदंड है जिसके आधार पर विकास की स्थिति का आकलन किया जाता है कि कोई देश या राज्य विकसित है या विकासशीला है ।


प्रश्न-2. सकल घरेलू उत्पाद(GDP) से आप क्या समझते
उत्तर- किसी देश में एक वर्ष की अवधि में उत्पादित वस्तुओं घरेलू उत्पाद एवं(सेवाओं GDP)के कहा कुल जाता मौद्रिक है । मूल्य को सकल किसी भी देश के राष्ट्रीय आय को पता लगाने के लिए सकल घरेलू उत्पाद(GDP)का गणना करना परता हैं


प्रश्न-3. प्रतिव्यक्ति आय क्या है?
उत्तर- किसी राष्ट्र या देश के प्रत्येक व्यक्ति के औसत आय को प्रतिव्यक्ति आय कहते है । राष्ट्रीय आय में देश की कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल प्राप्त होता है, उसे प्रतिव्यक्ति आय कहते है । विकसित देशों का प्रतिव्यक्ति आय अधिक जबकि विकाशील देशों का प्रतिव्यक्ति कम होम है


प्रश्न-4. भारत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय की गणना कब और किनके द्वारा की गई थी?
उत्तर- भारत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय की गणना 1868 ई 0 में दादा भाई नौरोजी के द्वारा की गई थी । इनकी पुस्तक”पोवर्टी एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया” में भारत का प्रतिव्यक्ति आय 20 रुपया बतायी गयी थी । इसके बारे कई विद्वानों ने व्यक्तिगत रूपे भारत की राष्ट्रीय आय तथा प्रतिव्यक्ति आय का अनुमान लगेगा


प्रश्न-5. भारत में राष्ट्रीय आय की गणना किस संस्था के द्वारा होती है?
उत्तर- भारत में राष्ट्रीय आय की गणना केंद्रीय सांख्यिकी संगठन(C.S.O.) के द्वारा होती है । यह संस्था नियमित रूप से राष्ट्रीय आय के आकड़ों को प्रकाशित करती है ।


प्रश्न-6. भारत में राष्ट्रीय आय की गणना में होने वाली कठिनाईयों का वर्णन करें?
उत्तर- भारत की राष्ट्रीय आय की गणना में निम्नलिखित कठिनाईयाँ होती है ।
(i) आकड़ों को एकत्रित करने में कठिनाई- ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सही आंकड़ा कभी-कभी उपलब्ध नहीं रहता है ।
(ii) दोहरी गणना की संभावना-कभी-कभी एक ही वस्तुओं या सेवाओ की दोहरी गणना कर ली जाती है ।
(iii) मूल्य को मापने में कठिनाई- विभिन्न स्थानों में एक ही वस्तुओं तथा सेवाओं के भिन्न-भिन्न मूल्य को मापने में कठिनाई होती है ।


प्रश्न-7. आय का गरीबी के साथ संबंध स्थापित करें ।
उत्तर- आय और गरीबी के बीच सीधा सम्बन्ध है । जितना कम आय होगी लोगों में उतना ही अधिक गरीबी होगी । गरीबी के कारण लोगों में अज्ञानता, अशिक्षा, आदि अधिक बढ़ने लगेगा । लोगों का जीवन स्तर निम्न होगा तथा पूँजी निर्माण भी नहीं हो पाएगा, जिससे गरीबी और भी बढ़ता ही जाएगा । इस प्रकार  कहा जा सकता है की कम से कम गरीबी बरता है


Q.8. शुद्ध राष्ट्रीय आय से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:- कुल राष्ट्रीय उत्पादन में से खर्च को घटा देने से जो बच (NNP) कहलाता है।


Q.9. भारत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय की गणना कब और के द्वारा की गई ?
उत्तर:-भारत में राष्ट्रीय आय का अनुमान सबसे पहले 1868 ई० में दादाभाई नरोजी ने लगाया था


Q.10. गरीबी गरीबी को जन्म देती है
उत्तर प्रसिद्ध अर्थशास्त्री के अनुसार गरीबी गरीबी को जन्म देती है क्योंकि गरीबी के कारण उनकी आय कम होती है और अशिक्षा होती है और अज्ञानता के कारण बच्चों की पैदाइश अधिक होती है उनकी अगली पीढ़ी और गरीब हो जाती है और यह गरीबी का कुचक्र चलता रहता है।


Q.11. प्रति आय और राष्ट्रीय आय में अंतर लिखें
उत्तर :- प्रतिव्यक्ति आय और राष्ट्रीय आय में निम्नलिखित अंतर हैं। प्रति व्यक्ति आय राष्ट्र की आय को देश की जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल आता है, उसे प्रति व्यक्ति आय कहते हैं |

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न-1.स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत सरकार ने कब और किस उद्देश्य से राष्ट्रीय आय समिति का गठन किया?
उत्तर- स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत सरकार ने अगस्त 1949 ई 0 में प्रो ० पी ० सी ० महालनोबिस की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय आय समिति का गठन किया था, जिसका उद्देश्य भारत की राष्ट्रीय आय के संबंध में अनुमान लगाना था । इस समिति ने अप्रैल 1951 ई 0 में अपनी पहली रिपोर्ट प्रस्तुत किया था । इस रिपोर्ट के अनुसार सन् 1948-49 के लिए देश की कुल राष्ट्रीय आय 8650 करोड़ रुपया बताई गई तथा प्रतिव्यक्ति आय 246.9 रुपया बताई गई । सन् 1954 के बाद राष्ट्रीय आय के आंकड़ो का संकलन करने के लिए सरकार द्वारा केंद्रीय सांख्यिकी संगठन की स्थापना की गई थी । ये संस्था नियमित रूप से राष्ट्रीय आय के आंकड़ो को प्रकाशित करती है । क्षेत्र, उद्योगिक राष्ट्रीय क्षेत्र आय तथा में अर्थव्यवस्था के तीनों कृषि सेवा क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान रहता है ।


प्रश्न-2.राष्ट्रीय आय की परिभाषा दें । इसकी गणना की प्रमुख विधियाँ कौन-कौन सी है ।
उत्तर- राष्ट्रीय आय-किसी देश में एक वर्ष की अवधि में उत्पादित योग सभी वस्तुओं एवं सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के को राष्ट्रीय आय कहा जाता है ।
राष्ट्रीय आय की गणना:- राष्ट्रीय आय की गणना निम्नलिखित विधियों द्वारा की जाती है ।
(i) उत्पादन गणना विधि- जब राष्ट्रीय आय की गणना देश में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं के आधार पर की जाती है तो ऐसे विधि को”उत्पादन गणना विधि कहते हैं ।
(ii) आय गणना विधि- जब राष्ट्रीय आय की गणना राष्ट्र के लोगों के आय के आधार पर की जाती है तो ऐसे विधि को”आय गणना विधि” कहा जाता है ।
(iii)व्यय गणना विधि- जब राष्ट्रीय आय की गणना लोगों के द्वारा किया गया व्यय के आधार पर की जाती है तो ऐसे विधि को “व्यय गणना”विधि कहा जाता है ।


प्रश्न-3.प्रतिव्यक्ति आय और राष्ट्रीय आय में अंतर स्पष्ट करें
उत्तर- प्रतिव्यक्ति आय एवं राष्ट्रीय आय में निम्नलिखित अंतर है ।

प्रतिव्यक्ति आयराष्ट्रीय आय
(i) प्रति व्यक्ति आय का अर्थ सीधे तौर पर किसी व्यक्ति की औसत आय से लगाया था ।(i) राष्ट्रीय आय का अर्थ सीधे तौर पर पूरे राष्ट्र की आय से लगाया जाता है ।
(ii) प्रतिव्यक्ति आय के द्वारा देश के प्रत्येक व्यक्तियों के औसत आय को पता लगाया जाता है ।(ii) राष्ट्रीय आय द्वारा हमें पूरे देश की आय प्राप्त होता है ।
(iii) राष्ट्रीय आय में देश की कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भाग फल प्राप्त होता(iii) किसी देश में 1 वर्ष की अवधि में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं व कुल मूल्य को राष्ट्रीय

प्रश्न 4. राष्ट्रीय आय में वृद्धि भारतीय विकास के लिए किस तरह से लाभप्रद है?वर्णन करें ।
उत्तर- किसी भी देश के विकास को उस देश के राष्ट्रीय जितना आय के अधिक द्वारा मापा होता जाता है वे है देश । जिस इतना देश ही का विकसित राष्ट्रीय आय अथवा अमीर होता है । वस्तुओं का अधिक उत्पादन  स्था राष्ट्रीय उठ्य अधिक होने पर ही हम राष्ट्र के उच्चतम आर्थिक विकास की स्थिति को पा सकते हैं । आज राष्ट्र के विकास के लिए जो प्रयास किए जाते है वे उस राष्ट्र की सीमा के अंदर रहने वाले लोगों की उत्पादकता अथवा आय को बढ़ाने के उद्देश्य से की जाती है । लोगों के आय या राष्ट्रीय आय में वृद्धि होने से लोग विभिन्न क्षेत्रों में निवेश करेंगे जिससे रोजगार में
वृद्धि होगा दूसरी ओर लोगों को रोजगार मिलने से गरीबी दूर होगा । इस प्रकार लाभप्रद राष्ट्रीय है आय ।


प्रश्न-5. विकास में प्रतिव्यक्ति आय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें
उत्तर- किसी भी अर्थव्यवस्था के विकास में प्रतिव्यक्ति आय का महत्वपूर्ण योगदान होता है । प्रतिव्यक्ति आय देश के प्रत्येक व्यक्तियों का औसत आय होता है । किसी भी देश के आर्थिक एवं सामाजिक विकास, लोगों के जीवन को खुशहाल तथा जीवः स उँचा करने के लिए प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि करना अति आवश्यक है । भारत का राष्ट्रीय आय काफी कम है तथा प्रतिव्यक्ति विकास रिपोर्ट आय के का स्तर भी बहुत नीचा है । विश्व अनुसार वर्ष 2007 के अनुसार भारत की प्रतिव्यक्ति आय 950 डॉलर था । भारत की प्रतिव्यक्ति आय अमेरिका के प्रतिव्यक्ति आय से लगभग 48 गुना कम है ।राष्ट्र इस प्रकार लोगों के प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि कर को हम विकास की पटरी पर दौरा सकते हैं ।


प्रश्न-6. क्या प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि राष्ट्रीय आय को प्रभावित करती है? वर्णन करें ।
उत्तर- हाँ,प्रतिव्यक्ति आय राष्ट्रीय आय को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष दोनों रूप से प्रभावित करती है । प्रतिव्यक्ति आय में परिवर्तन होने से राष्ट्रीय आय भी -परिवर्तित होता है ।प्रतिव्यक्ति आय देश के लोगों का औसत आय होता है और किसी देश के लोगों के आय का योगफल राष्ट्रीय आय कहलाता है इसलिए यदि जनसंख्या स्थिर तो प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि होने से राष्ट्रीय आय में वृद्धि होता है जबकि प्रतिव्यक्ति आय में कमी होने से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में कमी भी विकास होता है । जिसका सीधा प्रभाव के पर पड़ता है । दूसरी ओर यह भी देखा गया है कि विकसित देशों का प्रतिव्यक्ति आय अधिक होता है जबकि विकासशील देशों का प्रतिव्यक्ति आय कम होता है । अतः हम कह सकते है कि प्रतिव्यक्ति अन्य राष्ट्रीय आय प्रभावित वचती है ।


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