bharat me rashtravad class 10 in hindi notes
भारत में राष्ट्रवाद (Bharat me rashtravad class 10 in hindi pdf) जैसे महत्वपूर्ण इतिहास विषयों के अध्ययन को आसान बनाने के लिए हम आपके लिए चैप्टर-वाइज महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्नों का संकलन लेकर आए हैं। यहां आपको लघु उत्तरीय और दीर्घ उत्तरीय (भारत में राष्ट्रवाद नोट्स PDF) दोनों प्रकार के प्रश्न उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे आप परीक्षा में सभी प्रश्नों का उत्तर आसानी से दे सकें। यह प्रश्न न केवल प्रत्येक चैप्टर की गहराई से समझ के साथ तैयार किए गए हैं, बल्कि इनमें पिछले कुछ वर्षों में पूछे गए महत्वपूर्ण प्रश्न भी शामिल किए गए हैं। इस प्रकार का मॉडल सेट आपकी तैयारी को प्रभावी बनाने और आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करेगा, ताकि आप परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकें।
भारत में राष्ट्रवाद Class 10th PDF download
- अतिलघु उत्तरीय प्रश्न : ( 20 शब्दों में उत्तर दें )
प्रश्न-1. खिलाफत आंदोलन क्यों हुआ?
उत्तर:- तुर्की का सुल्तान इस्लामिक दुनिया का खलीफा था। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटेन द्वारा तुर्की सुल्तान के साथ किये जानेवाले दुर्व्यवहार को भारतीय मुसलमान अपने पर विश्वासघात के रूप में देखते थे। इसी विश्वासघात से आघात होकर 1920 के प्रारंभ में भारतीय मुसलमानों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ खिलाफत आंदोलन प्रारंभ किया।
प्रश्न-2. रॉलेट एक्ट से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:- भारत में बढ़ती हुई क्रांतिकारी घटनाओं को दबाने के लिए रॉलेट एक्ट लाया गया था। इसके अंतर्गत एक विशेष न्यायालय के गठन करने का प्रावधान था। इस एक्ट के अनुसार किसी भी व्यक्ति को बिना सबूत एवं बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता था। इसलिए इसको काला कानून भी कहा जाता हैं
प्रश्न-3. गांधी-इरविन पैक्ट अथवा दिल्ली समझौता क्या था?
उत्तर:- गांधी-इरविन पैक्ट अथवा दिल्ली समझौता 5 मार्च 1931 ईस्वी को गांधीजी एवं लॉर्ड इरविन के बीच दिल्ली में संपन्न हुई थी। इस समझौता के अनुसार गांधी जी ने आंदोलन को स्थगित कर दिया। दूसरी ओर लॉर्ड इरविन ने भी गाँधीजी के कुछ मांगों को भी स्वीकार किया था।
प्रश्न-4. दांडी यात्रा का क्या उद्देश्य था ?
उत्तर:- दांडी यात्रा का उद्देश्य समुद्र के जल से नमक बनाकर नमक कानून का उल्लंघन करना था। क्योंकि तत्कालीन समय में आम व्यक्तियों द्वारा नमक बनाना
एक कानूनी अपराध था। धीरे-धीरे पूरे देश में नमक कानून का उल्लंघन किया गया। गांधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत दांडी यात्रा से किये थे।
प्रश्न-5. चम्पारण सत्याग्रह का संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर:- बिहार में प्रचलित तीन कठिया व्यवस्था के अंतर्गत किसानों को भूमि की 3/20 भाग पर नील की खेती करनी होती थी। नील की खेती से मुनाफा नहीं होने के कारण किसानों की स्थिति काफी दयनीय हो गई थी। किसानों के पक्ष को लेकर गांधीजी ने अप्रैल 1917 ई0 में चम्पारण से सत्याग्रह आंदोलन का शुरुआत किया था
प्रश्न-6. मेरठ षड्यंत्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तरः- मेरठ षड्यंत्र एक विवादास्पद अदालत का मामला है। मार्च 1929 ई0 में ब्रिटिश सरकार ने 31 मजदूर नेताओं को षड्यंत्रों के आरोप में गिरफ्तार किया और इन नेताओं को मेरठ लाकर उन पर मुकद्दमा चलाया। इसमें 27 अभियुक्तों को कड़ी सजा दी गयी। मुजफ्फर अहमद को सबसे बड़ी और कड़ी सजा दी गई, इसके तहत उन्हें आजीवन काले पानी की सजा दी गईं।
प्रश्न-7. जतरा भगत के बारे में आप क्या जानते हैं? संक्षेप में बताएं।
उत्तर:- जतरा भगत उर्फ जतरा उरांव का जन्म सितंबर 1888 में झारखंड के गुमला जिला के बिशनपुर थाना के चिंगरी नवाटोली गांव में हुआ था । 1912-14 में उन्होंने ब्रिटिश राज और जमींदारों के खिलाफ अहिंसक असहयोग का आंदोलन छेडा और लगान, सरकारी टैक्स आदि भरने तथा ‘कुली’ के रूप में मजदूरी करने से मना कर दिया था।
प्रश्न-8. ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना क्यों हुई?
उत्तर:- कल-कारखानों में काम कर रहे मजदूरों के साथ उद्योगपतियों द्वारा शोषण किया जाता था। इन मजदूरों के साथ हो रहे शोषण को रोकने तथा मजदूरों
के माँगों को मनवाने के लिए ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना की गई थी। अर्थात मजदूरों की स्थिति में सुधार के लिए इस इसका स्थापना किया
गया था।
- लघु उत्तरीय प्रश्न :- (60 लगभग शब्दों में उत्तर दें )
प्रश्न-1 असहयोग आंदोलन प्रथम जन आंदोलन था कैसे
उत्तर:- असहयोग आंदोलन गांधीजी द्वारा चलाया गया था। इस आंदोलन में समाज के विभिन्न वर्गों के लोग (जन) जैसे- शहरी, ग्रामीण, मध्यवर्ग, किसान, आदिवासी एवं मजदूर आदि ने पहली बार बड़ी संख्या में भाग लिया। इससे पहले इतने संख्या में लोग किसी आंदोलन में भाग नहीं लिया था, इसलिए यह प्रथम प्रथम जन आंदोलन कहलाता था
प्रश्न-2. सविनय अवज्ञा आंदोलन के क्या परिणाम हुए।
उत्तर:- सविनय अवज्ञा आंदोलन के निम्न परिणाम हुए।
(i) राष्ट्रीय आंदोलन के सामाजिक आधार का विस्तार हुआ।
(ii) समाज के विभिन्न वर्गों का राजनीतिकरण हुआ।
(iii) ब्रिटिश सरकार ने 1935 ई0 का भारत शासन अधिनियम पारित किया।
(iv) पहली बार कॉंग्रेस से समानता के आधार पर ब्रिटिश सरकार ने बातचीत किया।
(v) ब्रिटिश वस्तुओं के आयात में गिरावट आई।
प्रश्न-3. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किन परिस्थितियों में हुई?
उत्तर:- कांग्रेस के स्थापना से पूर्व क्षेत्रीय स्तर पर अनेकों संगठन बना हुआ था। इन संगठनों को एकजुट करने के लिए आनंद मोहन बोस और रिटायर्ड ब्रिटिश अधिकारी ए० ओ० ह्यूम पूरा प्रयास किये। इसी क्रम में ए० ओ० ह्यूम ने भारतीय राष्ट्रीय संघ की स्थापना किये। अंततः 28 दिसम्बर 1885 ई0 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुआ था।
प्रश्न-4. बिहार में किसान आंदोलन पर संक्षिप्त लिखें।
उत्तर:- बिहार में प्रचलित तीन कठिया व्यवस्था के कारण यहां के किसानों की स्थिति काफी दयनीय हो गई थी। इस व्यवस्था के खिलाफ बिहार में “चम्पारण
आंदोलन या चम्पारण सत्याग्रह” नामक एक किसान आंदोलन हुआ। किसानों के पक्ष को लेकर 1917 ई0 में गांधीजी ने चम्पारण से इस आंदोलन का शुरूआत किया था
प्रश्न-5. स्वराज पार्टी की स्थापना एवं उद्देश्य की विवेचना करें।
उत्तर:- स्वराज पार्टी की स्थापना 1922 ई0 में चितरंजन दास और मोतीलाल नेहरू ने किया था। जिसका निम्नलिखित उद्देश्य थे।
(i) भारत में चलाई गई ब्रिटिश सरकार के परंपराओं का अंत करना।
(ii) नौकरशाही की शक्ति को कमजोर करना।
(iii) दमनकारी कानूनों का विरोध करना ।
(iv) राष्ट्रीय शक्ति का विकास करना ।
- दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :- (लगभग 150 शब्दों में उत्तर दें )
प्रश्न-1. प्रथम विश्वयुद्ध का भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के साथ अंतर्संबंध की विवेचना करें।
उत्तर:- प्रथम विश्वयुद्ध का भारतीय आंदोलन के साथ गहरा अंतर्संबंध रहा था क्योंकि प्रथम विश्वयुद्ध से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण ही भारत में कई राष्ट्रीय आंदोलन की घटनाएं घटी। युद्ध से उत्पन्न निम्नलिखित परिस्थितियों से भारत में राष्ट्रीय आंदोलन हुआ।
(i) प्रथम विश्व युद्ध के के बाद बा भारत की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई। देश में बेरोजगारी, गरीबी, महँगाई बढ़ने लगी। इन समस्याओं से प्रभावित होकर भारतीयों ने
ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलन प्रारंभ करने लगे।
(ii) प्रथम विश्व युद्ध ने भारत सहित पूरे एशिया और अफ्रीका में राष्ट्रवादी भावना को मजबूत बना दिया और देश के विभिन्न क्षेत्रों में आंदोलनों होने लगा।
(iii) प्रथम विश्व युद्ध से हुआ नुकसान की भरपाई के लिए ब्रिटिश सरकार ने भारत पर कठोर नियम लागू करने लगा जिस के खिलाफ लोग आंदोलन करने लगे।
प्रश्न-2. असहयोग आंदोलन के कारण एवं परिणाम का वर्णन करें।
उत्तर:- असहयोग आंदोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व में प्रारंभ किया गया पहला जन आंदोलन था। इस आंदोलन के मुख्य तीन कारण थे।
(i) खिलाफत का मुद्दा लेकर सरकार पर दबाव बनाना।
(ii) पंजाब में सरकार की बर्बर कार्रवाई के खिलाफ न्याय प्राप्त करना।
(iii) स्वराज्य की प्राप्ति करना ।
असहयोग आंदोलन के अचानक रुकने से निम्नलिखित परिणाम हुए।
(i) गांधीजी की गिरफ्तारी हुई।
(ii) खिलाफत के मुद्दा का अंत हो गया।
(iii) स्वराज्य की प्राप्ति नहीं हुई और ना ही पंजाब में
बर्बर कार्यवाही के विरुद्ध न्याय प्राप्त हुआ।
(iv) हिंदू-मुस्लिम एकता भंग हो गई।
(v) कांग्रेस एवं गांधीजी के प्रति पूरे भारतीय जनता का विश्वास जगा।
(vi) समूचे देश में पहली बार जनता आंदोलन के लिए एक हुआ।
(vii) चरखा एवं करघा को भी बढ़ावा मिला।
प्रश्न-3. सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारणों की विवेचना करें।
उत्तर:- 1930 ईस्वी में गांधी के नेतृत्व में हुआ सविनय अवज्ञा आंदोलन के निम्नलिखित कारण था।
(i) साइमन कमीशन:- इस कमीशन के 7 सदस्य आयोग में एक भी भारतीय ना होना।
(ii) नेहरू रिपोर्ट:- इस रिपोर्ट का कांग्रेस के सर्वदलीय
(iii) विश्वव्यापी आर्थिक मंदी:- 1929-30 ई0 की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी से देश में बेरोजगारी, गरीबी आदि का बढ़ना।
(iv) समाजवाद का बढ़ता प्रभाव- :इससे कांग्रेस आंदोलन के लिए दबाव महसूस करने लगा।
(v) क्रांतिकारी आंदोलनों का उभार :- देश के विभिन्न क्षेत्रों में क्रांतिकारी आंदोलनों का उभर कर सामने आना।
(vi) पूर्ण स्वराज की मांग:- कांग्रेस द्वारा पूर्ण स्वराज की मांग करना।
(vii) गांधी का समझौता रुख:- ब्रिटिश शासन द्वारा गांधी का 11 सूत्री समझौता प्रस्ताव न मानना।
प्रश्न-4. भारत में मजदूर आंदोलन के विकास का वर्णन करें।
उत्तर- यूरोप के औद्योगीकरण और मार्क्सवादी विचारों के विकास का प्रभाव भारत के मजदूरों पर भी पड़ा। यहाँ के मजदूरों में भी जागृति आई । गाँधी जी ने
भी मजदूरों के हक की मांगो का समर्थन किया। उद्योगपतियों द्वारा मजदूरों पर हो रहे शोषण को रोकने तथा इनके माँगों को मनवाने के लिए 31 अक्टूबर 1920 ई0 को कांग्रेस पार्टी ने “ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस(AITUC)” की स्थापना किया था। मार्क्सवादी विचारों की लोकप्रियता ने मजदूर आंदोलन को ओर अधिक मजबूत बनाया, जिससे ब्रिटिश सरकार की चिंता बढ़ी और मजदूरों खिलाफ दमनकारी उपाय भी किए गए। लेकिन 1930 ई0 में मजदूर तीन संगठनों – i. ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन काँग्रेस, ii. हिंद मजदूर संघ और iii. यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस में विभाजित होने से कमजोर हो गया
प्रश्न-5. भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन गाँधीजी के योगदान की विवेचना करें।
उत्तर- 1919 ई0 से 1947 ई0 के बीच राष्ट्रीय आंदोलन में गाँधीजी का महत्वपूर्ण योगदान रहा था। चंपारण तथा खेड़ा में किसानों का आंदोलन और अहमदाबाद में श्रमिकों के आंदोलनों का नेतृत्व कर गाँधीजी ने राष्ट्रीय स्तर पर अपना पहचान बनाया लिया था। ब्रिटिश सरकार के दमनकारी नीतियों एवं रौलेट एक्ट के विरोध में गाँधीजी ने सत्याग्रह की शुरुआत किया।
महात्मा गाँधी ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन के द्वारा राष्ट्रीय आंदोलनों को एक नई दशा एवं दिशा प्रदान किया। इन संघर्षों के बाद अंततः 15 अगस्त 1947 ई0 को हमारा देश भारत स्वतंत्र हो गया। उपर्युक्त बातों से स्पष्ट होता है कि भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में गाँधीजी का महत्वपूर्ण योगदान रहा था।
प्रश्न-6. भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में वामपंथियों की भूमिका को रेखांकित करें।
उत्तर- 20वीं शताब्दी के शुरुआत में ही वामपंथियों की सभाएं होने लगी थी। इसी दौरान 1920 ई0 में एम0 एन0 राय ने ताशकंद में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) तथा ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन फेडरेशन (AITUF) के गठन से वामपंथियों का प्रसार मजदूर संघ पर बढ़ रहा था। 1934 ई0 में मुंबई कांग्रेस समाजवादी दल की स्थापना की गई। लेकिन सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान वामपंथियों ने कांग्रेस का विरोध किया क्योंकि इनका मानना था कि कांग्रेस उन उद्योगपतियों एवं जमींनदार के समर्थन से चल रहा है जो मजदूरों का शोषण कर रहा हैं।
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